हमीरपुर - महोबा लोकसभा चुनाव 2024 में सपा प्रत्याशी अजेन्द्र लोधी ने अपने निकटम प्रतिद्वंदी पुस्पेन्द्र चंदेल के खिलाफ 2630 वोटों से जीत हासिल की है. महोबा - हमीरपुर के चौक-चौपालों पर तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं. जानें क्या कहती है मानवेन्द्र सिंह (बंटा सिंह, कबरई ) की ग्राउंड रिपोर्ट-
सांसद की दस वर्षों की निष्क्रियता का उठाना पड़ा खामियाजा
महोबा हमीरपुर मे मतदाताओं ने भाजपा को बड़ा झटका दिया है। पार्टी को चुनावी मैदान में उतरे सांसद की दस वर्षों की निष्क्रियता का खामियाजा उठाना पड़ा है। भाजपा प्रत्याशी भी मोदी की गारंटी के सहारे अंंतिम क्षणों तक जनता का दुख दर्द जानने के बजाय कुछ खास लोगों से मिलने तक ही सीमित रहे। कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल अपने वीआईपी कल्चर के चलते आम जनमानस से दूरियां बनाये रहे, नतीजा इस बार मतदाताओं के सब्र का बांध टूटा और लापता रहने वाले सांसद को बुरी तरह से नकार दिया।
10 वर्षों से झेल रहे थे VIP संसद को
लापता सांसद के नाम से मशहूर रहे पूर्व सांसद पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल जिनकी अपने दम पर प्रधानी का चुनाव जीतने की क्षमता नहीं थी किन्तु प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर पिछले दो चुनाव जीत चुके थे। जनता ने पुष्पेन्द्र चंदेल को अपने सर-माथे पर बिठाया लेकिन वह जनता से कभी मिले नहीं. हमेशा जनता से दूरी ही बनाए रखी. जब जनता को उनकी जरूरत हुई तो वह हमेशा ही गायब रहे. इस बार खुद जनता ने उन्हें अपने से दूर कर दिया. यहां कि जनता ने ऐसे व्यक्ति को अपना सांसद चुना जो हर समय उनकी बात सुनने के लिए मौजूद है ।
जिला स्तर पर सांगठनिक बदलाव की जरूरत
10 वर्षो से जिला पंचायत ,खनिज विभाग की मलाई खाने में व्यस्त रहे पदाधिकारी
महोबा सीट की हार भाजपा को बहुत गहरे तक चोट दे गई है। कुंवर पुष्पेन्द्र चंदेल की हार और भी कई कारण गिनाए जा रहे हैं, जिसमें स्थानीय मुद्दों पर सांसद की निष्क्रियता और संगठन के पदाधिकारी जनसेवा और संगठन को मजबूती देने की बजाय सत्ता की हनक दिखा कर पिछले 10 वर्षो से जिला पंचायत ,खनिज विभाग की मलाई खाने में व्यस्त रहे हैं । ऐसे में संगठन में पूरी तरह से बदलाव की आवश्यकता भाजपा को है ।
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